Journals

September 2020

Preface and Index

Representation and usage of media during Covid-19

Tarun Goma

Corona virus were not considered as highly pathogenic for humans until the serious acute respiratory syndrome (SARS) outbreak in the Guangdong state of China in 2002 and 2003.The WHO confirmed the outbreak on 11 March 2020 a pandemic. As of 13 July 2020, over 13 million cases have been confirmed in more than 215 countries and territories. More than 5,71,000 have died from the disease…

Political Parties and Election Communication Strategies

Rishikesh Kumar Gautam

Political movements and institutions, from the most primitive to the most complex cannot exist without communication, which is essential to the symbolic representation of authority and to competition for, and exercise of power. The conduct of modern, democratic politics also depends on participation of citizens, for which extensive means of public communication are indispensable, so political communication comprises…

Effect of Audio-Visual medium on Sanitation Campaign

(With Special Reference to Doordarshan Channel)

Pooja Singh Kashia

India’s more than 72% of rural people are practicing open defecation. To achieve the target of Swachh Bharat till 2019, the government has done tremendous efforts: it keeps on reviving the advertisements, changes new promoters and new schemes are being launched. Doordarshan is meant for public betterment and the government spends lots of resources on it. Television is well known for its effect and impact on past researches…

Analytical Study of the Data of the Newspapers Circulation in Uttarakhand

Dr. Jyotsna Panwar

In Uttarakhand, the credit of starting print media goes to an English businessman and social worker John Mckinnon published ‘the hills’ from Mussoorie in 1842. Though in Uttarakhand journalism started as English journalism by English journalists, its contribution in the state after the independence is decreasing over time. This study examines the circulation of newspapers published from Uttarakhand…

The role of M-Health in promoting health awareness

Nishant Kumar

The current use and development of Mobile Health (m-Health) applications is on the rise in the developing world. m-Health applications are being used in the developing world to improve health education and awareness. This paper provides an overview that how the m-health applications have been developed…

Web Series and Web Movies and their psycho- sociological impact on netizens in India

Anindita Chattopadhyay

In India, since the last few years, the growth of OTT services has transformed video consumption, enhancing the level of control that viewers have over on what they are watching, when they are watching at their convenient time. In India, today OTT Platforms hold a strong ground and has a strong fan base, even in remote areas…

‘अतिशय’ उपन्यास के पात्रों का मनोविश्लेषणात्मक अध्ययन

नीतिका कालड़ा

किसी भी रचना के पात्र ही उसकी कथा को प्रारम्भ से अंतिम परिणति तक पहुंचाते हैं। पात्रों के द्वारा ही किसी उपन्यास के किसी पक्ष की सफलता का अंकन किया जाता है। पात्रों के संवाद, मनःस्थिति, कार्य, परिस्थिति, परिवेश आदि ही उपन्यास के कथानक, घटनाएँ, भाषा एवं साहित्य में उसका स्थान निर्धारित करते हैं…

गज़लकार दुष्यंत कुमार की रचनाधर्मिता में सामाजिक यथार्थ

खुशबू कुमारी

दुष्यंत कुमार मूलतः कवि ही हैं, पर जब इन्होंने देखा कि कविता उनकी परिस्थितियों व परिवेश की तरह रूढ़ होती जा रही है, उससे निकलकर कोई नई चीज़ नहीं आ पा रही है, इसके द्वारा वर्तमान पीड़ा की पूर्णतः अभिव्यक्ति नहीं हो पा रही है तो इन्होंने ग़ज़ल विधा की तरफ रुख किया…

ज्ञानेंद्रपति की कविताओं में वृक्ष संवेदना

सोनू कुमार ठाकुर

ज्ञानेंद्रपति कविता और कवि के स्थानीय जुड़ाव को लेकर अपना मत कुछ अलग रखते हैं। प्रकृति के परिवेश की सजीवता को आँखों से महसूस कर लेखन करते हैं। उनका मानना है की आखिर प्रकृति ही ठोस वास्तविक बिंबों की जननी होती है…

तिलक की पत्रकारिता का राष्ट्रीय चेतना पर प्रभाव

डॉ. प्रशांत कुमार राय

 बालगंगाधर तिलक की पत्रकारिता का स्वाधीनता संग्राम आंदोलन में विशेष और निर्णायक महत्व रहा है। तिलक को राष्ट्रवादी और राष्ट्रीय चेतना जागृत करने वाले पहले पत्रकार के रूप में जाना जाता है। भारत में आज़ादी की अलख जगाने में उन्होंने पत्रकारिता को ही अपना प्रमुख हथियार बनाया था। 1881 से लेकर 1920 तक का युग स्वाधीनता…

दलित समुदाय में राजनीतिक चेतना और कांशीराम की भूमिका

रमेश कुमार

कांशीराम ने दलित समुदाय में राजनीतिक चेतना को जागृत करने का बीड़ा उठाया तथा दलित समाज में राजनीतिक चेतना पैदाकर दलितों को स्वाभिमान तथा आत्मसम्मान की जिंदगी जीने का अधिकार दिया है।कांशीराम  साहब डॉ॰ अंबेडकर के बाद दलित आंदोलन…

प्रेमचंद के मूल एवं अनूदित उपन्यासों में भारतीय समाज

डॉ सुबोध कुमार

प्रेमचंद के साहित्य में तत्कालीन भारतीय जीवन के विविध परिवेश उद्घाटित हुए हैं, किंतु इनमें प्रमुख है ग्राम-परिवेश। ग्राम-परिवेश भारतीय का सर्वाधिक व्यापक और महत्त्वपूर्ण परिवेश है,क्योंकि कृषि-प्रधान भारत की अधिसंख्य जनता गांवों में ही रहती थी…

युवा विद्यार्थियों पर 4g मीडिया का प्रभाव

Saddam Hossain

वर्तमान समाज सूचना युग में दौड़ रहे है। इसके बिना एक कदम चलना भी मुश्किल हो गया हैं, यह व्यक्तिगत आवश्यकता बन गया है। प्रसिद्ध समाजविद मैनुअल कैसटेल्स का दिये हुए  शब्द सूचना क्रांति आज पूरे विश्व में जाली फैला दिया है…

साहित्य एवं कला के परिप्रेक्ष्य में सौंदर्य

डॉ. कमलेश कुमार यादव

सौंदर्य एक ऐसा विषय है जिस पर साहित्य जगत में सबसे ज्यादा बहस होती रही लेकिन आज तक सौंदर्य को लेकर कुछ ठीक-ठीक नहीं कहा जा सका है । प्रस्तुत अध्ययन में यह जानने की कोशिश होगी की सौंदर्य के बारे में पूरे विश्व के साहित्य एवं साहित्य दर्शन और कला चिंतन में जो सैद्धांतिक बहसें होती रही हैं…