An Analysis Of Constitutional And Other Legal Rights For Women Empowerment In India
Mr.Ajay Kumar & Dr. Reema Agarwal
Women empowerment means empowering the women to take their own decisions for their
personal dependent and make them independent in all aspects from rights, mind, thought,
decisions etc. by leaving all the social and family limitations. It should be bring equality in
the society for both male and female in all areas. The Constitution and other laws have
provided various constitutional and legal rights to meet the objective of Women
empowerment in India.
Role of social media in women empowerment,In reference of M.P.
Devesh P. Singh
There are several ways one can look at the status of women in any society. During the last
decade at least three approaches, not necessarily mutually exclusive, were discernible. One
was to examine common demographic indicators that give an overall picture of women’s
relative standing vis-à-vis men. Many scholars prefer to study the status of women in society
in terms of the extent to which women have been assimilated in the nation’s developmental
programs and the extent of the impact of the development policies on women. This study is
based on Role of social media in women empowerment in reference of Bhopal (M.P.)
Usage of Social Networking Sites on Youth
Deep Shikha
Purpose of the study-The study aims to understand the usage of social networking sites on
youth. The youth at large have started to widely make use of social networking sites.
Research design-In this research paper the survey method has been used and questionnaire
has been used for a data collection. The paper in itself is based on the findings of primary
data. Respondents were selected through the random sampling method and sample size is 80.
Findings-Youth who use social networking sites spend 2 hours as an average on SNSs per
day and mostly use social networking sites to gain knowledge to be in touch with family and
friends to connect and share information. The social networking sites used by the youth are
Whatsapp , Facebook, and Instagram respectively.
To Study the Purchasing Trend Of Product In Youth
Reeta Bangari
In this research researcher find out that the purchasing trend of product in youth is not fully
change to the online shopping because they still believe in face to face shopping rather than
online shopping without checking the products. researcher also find out from my research
that more of the male respondent shop online than female respondent. Male respondent finds
it easy to buy online than from market.
ग्रामीण महिलाओं में बढ़ती स्तन एवं गर्भाशय कैंसर की समस्याएं और मेडिकल सोशल वर्क की भूमिका
अनिता झाडे और मनोज कुमार
किसी भी समाज में एक स्वस्थ एवं जागरूक महिला स्वयं को सक्षम एवं प्रभावी बनाती है। वह बच्चे और परिवार की देखभाल करती है। मुझे समुदाय और समाज में अपना भरपूर योगदान प्रदान करती है। कैंसर से संबंधित लोगों से होने वाले महिलाओं की मृत्यु की संख्या आज भी अधिक है।प्रस्तुत लेख में ग्रामीण महिलाओं में कैंसर समस्या के प्रति जागरूकता को जानने का प्रयास किया गया है तथा उनके लिए संभावित समाज कार्य हस्तक्षेप तथा सामाजिक कार्यकर्ता की भूमिका को विश्लेषित किया गया है।
उच्चतर शिक्षण के विद्यार्थियों पर सोशल मीडिया विज्ञापनों के प्रभाव का अध्ययन
अभय शुक्ल
इस शोध पत्र में स्नातक और परास्नातक के विद्यार्थियों पर सोशल मीडिया विज्ञापनों के प्रभाव का अध्ययन किया गया है। इस शोध कार्य युवाओं के पसंदीदा दो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक और इंस्टाग्राम के अंतर्गत किया गया है। यह अध्ययन विज्ञापन की प्रकृति के अनुसार ग्राहकों के व्यवहार पर किया गया है। इसमें यह अध्ययन किया गया है कि विद्यार्थी सोशल मीडिया विज्ञापनों के प्रति कैसा व्यवहार रखते हैं और वह उन्हें किस प्रकार प्रभावित करता है। साथ ही साथ यह भी जानने की कोशिश की गई है कि सोशल मीडिया विज्ञापन के क्षेत्र में किस हद तक विद्यार्थियों का विश्वास अर्जित करने में भी सफल है। इस शोध की डिजाइन /पद्धति/ दृष्टिकोण वर्णनात्मक है जिसके अंतर्गत मिश्रित विधि का प्रयोग किया गया है। इसमें गुणात्मक और मात्रात्मक दोनों दृष्टिकोण से शोध प्रश्न का उत्तर प्राप्त करने की कोशिश की गयी है। इस शोध का अर्थ एवं युवाओं के विज्ञापन के प्रति मानवीय स्थिति को जान पाएंगे और अपने विज्ञापन और उत्पाद बेहतर बना पाएंगे।
स्वर योग के सामाजिक महत्व का अध्ययन
डॉ. अजय दुबे
भारतीय प्राचीन संस्कृति इन्हीं प्राच्य विद्याओं की परम्परा को अपने गर्भ में सुरक्षित रखे हुये हैं। इन्हीं प्राच्य विद्याओं में स्वरोदय विज्ञान भी एक प्राचीन और महत्वपूर्ण विद्या है जिसके प्रयोग से न केवल व्यक्तिगत जीवन वल्कि सामाजिक, आध्यात्मिक व विश्व के प्रत्येक प्राणिमात्र का हित कर सकते हैं। वैदिक ग्रन्थों या अन्य उपलब्ध शास्त्रों में स्वर विज्ञान के बारे में विस्तृत जानकारी का अभाव है। चूंकि स्वरोदय संबंधी जो भी जानकारी हमें उपलब्ध होती है उसका एकमात्र मूल स्रोत शिवपार्वती संवाद रूपी ग्रन्थ है जिसे शिवस्वरोदय नाम से जाना जाता है। आज के समय में स्वरविद्या के मर्मज्ञ किंचित मात्र हैं। इसी कारण से स्वर विद्या पर अनुसंधान कार्य न के बराबर हुए हैं। स्वर योग शास्त्र विषयक इस शोध द्वारा स्वर योग से संबंधित जानकारी को संकलित करने का प्रयास किया है।
ऑनलाइन मोबाइल गेम का युवा-वर्ग पर प्रभाव
सरिता सिंह
आज मोबाइल पर ऑनलाइन गेम खेलना युवाओं को बहुत पसंद है। या यूं कहे डिजिटल युग में बिन इंटरनेट सब सूना वाली स्थिति है। पिछले दो दशकों में टेक्नोलॉजी ने हमारे जीवन के हर पहलू को प्रभावित किया है और इसे बहुत कंफर्टेबल भी बनाया है। आजकल युवाओं की पहली पसंद है ऑनलाइन गेम। जिसमें इन दिनों सबसे फेमस है पब्जी। लेकिन इसके दुष्परिणाम भी आ रहे है। यूथ में गेम के बढ़ते क्रेज से मानसिक तनाव हो रहा है। अधूरी नींद और बेसमय खान-पान से चिड़चिड़ाहट हो रही है। घंटों एक ही पोजिशन में बिना मूवमेंट के बैठने और टकटकी लगाकर स्क्रीन को देखने से बच्चों में आंखों की कमजोरी, अपच की समस्या, अनिद्रा की दिक्कत, मानसिक तनाव के साथ हिंसक स्वभाव तेजी से बढ़ रहा है।
संचार उपकरण के रुप में मोबाइल का अध्ययन
पूर्ति सिंह
प्रस्तुत अध्ययन तकनीकी समरसता पर आधारित है। इस अध्ययन का मूल निर्धारण आधुनिक युग में किए जा रहे परिवर्तनों में निहित है, चाहे वो सामाजिक, राजनैतिक हो या मोबाइल से हो रहे बदलाव हैं। संचार उपकरण के रुप में मोबाइल का अध्ययन केवल मोबाइल अध्ययन नहीं बल्कि यह संचारकर्ताओं की तकनीकी मांग बताता है। यह अध्ययन मुख्य रुप से संचार उपकरण को रेखांकित करता है। लोग किस प्रकार मोबाइल का प्रयोग संचार के लिए कर रहे हैं।
New Dimensions of Right to Freedom of Speech and Expression and Indian Media
Prashant Mavi
This study focuses on the new dimension of freedom of speech and expression. In Indian
democratic system, the Constitution of India is the fundamental law of our country, in
such fundamental law, one of the fundamental rights Freedom of Speech and Expression
is guaranteed under Art 19(1) (a) to the citizens. Indian Constitution does not expressly
provide for the freedom of media (press). In present research the researcher has tried to
find the use of right to speech and expression by the people of India by receiving
Information from the media and its effect on society and legal system.
खट्टी-मीठी बातों-यादों में पिता
डॉ. वेद प्रकाश भारद्वाज
भारतीय ही नहीं, दुनिया के सभी समाजों में पिता यानी पुरुष केंद्र में होता है, वह परिवार से लेकर समाज, धर्म, राजनीति, हर कहीं केंद्र में होता है, एक धूरी की तरह होता है। शेष जीवन उसके आसपास एक परिधि में संयोजित रहती है। और अक्सर यह जो परिधि में है, केंद्र से जुड़ा होता है फिर भी उसके साथ उसका सम्बन्ध उस तरह से नहीं होता जिस तरह से परिधि के अन्य अवयवों से होता है। यही कारण है कि पिता का प्रेम ही नहीं बल्कि बहुत बार तो उनका होना तक दिखाई नहीं देता।