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December 2020

Peface and Index

  1. पिंक सिनेमा में स्त्री-चेतना का वैयक्तिक अध्ययन

 डॉ. मीता उज्जैन                                                                                                             अंजना शर्मा

जन माध्यमों में दृश्य-श्रव्य माध्यम का विशेष महत्व है। ये माध्यम केवल संदेश नहीं पहुंचाते बल्कि समाज में सकारात्मक परिवर्तनों का ज़रिया भी बनते हैं। पितृसत्तात्मक समाज में स्त्रियों की स्थिति अच्छी नहीं रही है। लेकिन समाज निरंतर बदल रहा है…

2. लोकगीतों के परिपेक्ष्य में महात्मा गांधी का लोक-संवाद

डॉ. पवन सिंह मलिक                                                                                         अमरेन्‍द्र कुमार आर्य

लोकगीत हमारे जीवन विकास चक्र का इतिहास हैं। लोकगीतों ने राष्ट्रीय स्वाधीनता आंदोलन को शक्तिशाली बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है जिनके बदौलत समस्त राष्ट्र ने महात्मा गांधी के सार्वभौम नेतृत्व को स्वीकार कर उनमें  अपनी आस्था को जगाये रखा…

3. भारतीय संस्कृति की विवेचना एवं उपादेयता

डॉ. सौरभ मालवीय

मनुष्य के सोचने के ढंग मूल्यों व्यवहारों तथा उनके साहित्य, धर्म, कला में जो अन्तर दिखाई पड़ता है वह संस्कृति के कारण है। भारतीयों के लिए आज भी आत्मिक मूल्य सर्वोपरि है, व्यक्तित्व के विकास में जिन कारकों का योगदान होता है, उनमें संस्कृति प्रधान है…

  1. वैश्वीकरण के दौर में ग्रामीण रोजगार विकास पर गांधी के आर्थिक चिंतन की प्रासंगिकता

ईश शक्ति सिंह

आधुनिक समयमें वैश्वीकरण ने चौतरफा अपना प्रभाव छोड़ा है। वैश्वीकरण ने विश्व की लगभग सभी संस्कृतियों के तत्वों को नए रूप में परिवर्तित किया है। इन संस्कृतियों के परिवर्तन से जहां एक तरफ सकारात्मक प्रभाव पड़ा है वहीं नकारात्मक प्रभाव भी पड़े हैं। वैश्वीकरण का ही प्रभाव है कि ग्रामीण संस्कृतियों में भी बदलाव आए है

  1. भारत का भूमंडलीकरण और समाचार-पत्र

डॉ. सुभाष कुमार गौतम

भूमंडलीकरण के आने से नया बाज़ार आया, नए उत्पाद आए और एक यंत्र की तरह समाचार पत्र काम करने लगे। इसी दौरान पेड न्यूज या भुकतान शुदा ख़बरों का चलन भी शुरू हुआ। इस तरह के समाचारों ने समाचारपत्र के कंटेंट को गहराई से प्रभावित किया…

  1. लोक और आभिजात साहित्य

डॉ कुमारी किरन

लोक साहित्य दो शब्दों लोक और साहित्य से मिलकर बना है। लोक शब्द का प्रयोग प्राचीन वैदिक साहित्य में भिन्न-भिन्न प्रसंगों में किया गया है। कहीं इसे जन  साधारण शब्द के पर्यायवाची रूप में प्रयोग किया गया है तो कहीं-कहीं इसका अर्थ जीव तथा स्थान विशेष को इंगित करने के लिए भी किया गया है

  1. चिंतामणि के हास्य-व्यंग्य-विधान

अमित कुमार राय 

किसी भी वांग्मय में हास्य-व्यंग्य का अपना महत्व है और यह संसार के सभी साहित्य में न्यूनाधिक पाया जाता है। जनसामान्य प्रायः हास्य-व्यंग्य-विनोद का अभिप्राय मनोरंजन, ठहाका, मन में गुदगुदी लाना, ऐसी बात जिससे हँसी आये आदि मान कर चलते हैं…

  1. छायावाद में विद्यार्थियों के लिए मूल्यपरक शिक्षाओं का अध्ययन

राजकुमार नामदेव

प्रस्तुत शोध आलेख के विषयानुशासन के आलोक में छायावाद छात्रों को क्या सिखाता है, जो उन्हें मानवता की समझ  और सेवा के लिए समर्पित होने की प्रेरणा दे, इस विषय पर हम विचार करेंगे। छात्रों के अध्ययन की दृष्टि से छायावाद एक काल है जिसमें साहित्य और साहित्यकार कुछ पृथक लिखते हैं, रचते है

  1. सुषम बेदी के हवन उपन्यास में प्रवासी भारतीय समाज

 सपना शुक्ला

आधुनिक काल में विकसित साहित्य की विधाओं में उपन्यास का महत्वपूर्ण स्थान है। इसका मुख्य उद्देश्य मनोरंजन एवं समाज सुधार है। पराये देश में जाकर उनकी सभ्यता एवं संस्कृति के साथ तालमेल बिठाना सरल नहीं होता कई समस्याओं का सामना व्यक्ति को करना होता है

  1. मध्यप्रदेश में महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम एवं योजनाओं की प्रबन्धकीय गत्यात्मकता

दीपमाला रावत

स्वतन्त्रता के बाद से ही महिलाओं का विकास हमारी योजनाओं का केन्द्रीय विषय रहा है, पिछले कई वर्षों से नीतिगत बदलाव आये है। 1970 के दशक में जहां कल्याण की अवधारणा अपनाई गई वही 1980 के दशक में विकास पर जोर दिया गया…

  1. Critical analysis of news headlines in print Media

(With reference to newspapers)

Chitralekha Agrawal

Headings of Indian newspapers are turning into trolls, teasers & derogatory comments. Many a times these headlines present subjective views & one sided narratives though the story that follows reads something else…

  1. An analysis of Prime Time Show of National News Channel on the basis of broadcasting pattern: A Case Study

(In context of “Aaj ki Baat” show telecast on India TV)

Prof. (Dr.) Monika Verma                                                                      Dinesh Kumar Rai

The development of electronic media is a part of the communication revolution that brought drastic changes in the socio economic condition of India. It has not only globalized our approach but also provided us a broad spectrum…

  1. Awareness and effectiveness of Guerrilla Marketing

(A Study on the youth of Noida, Uttar Pradesh)

Meeta Ujjain                                                                           Faiz Khan

We are leading towards the larger market than ever before with the development of industry4.0 or virtual world. Larger consumer base, wider reach and new marketing techniques becoming one of the major aspects of new marketing world…

  1. Parent’s perspective towards the cartoon programs and its impact on children during covid19 lockdown

Dr. Arvind Kumar Pal                                                                                           Swati Pant

The purpose of the study is to investigate parent’s mindset about the cartoon programs and how these programs are influencing their children during pandemic lockdown. A sample of 100 parents is to be used for the study…